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मंगलवार, 10 दिसंबर 2013

चाहत का ज़माना

आँखों में हैं बहते सपने
नींदों का उड़ जाना इस तरह

जाड़े की  सर्द हवाओं का
दिल को छू जाना इस तरह

यादों से मन को भिगोने
बेमौसम बारिश का आना इस तरह

भोर की किरणों के संग ही
चिड़ियों का गाना इस तरह

धड़कनें भी लय में आयीं
साँसों का आना जाना इस तरह

यूँ लगता है मानो आया
चाहत का ज़माना इस तरह।

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