प्रण तेरा जरुरी है
बड़ी लम्बी वो दूरी हैविजयपथ है बहुत दुर्गम
शिलाएं तोड़ता तू चल
है तो रहने दे जीवन को एकांकी
नदी के विरुद्ध तैरना ही है तैराकी
अटल तू है, अडिग तू है
धाराएं मोड़ता तू चल
रास्तों से बात तू कर ले
दोस्ती कर तू हवाओं से
कीमत पहचान ठोकरों की
रिश्ते जोड़ता तू चल
सहज हो जायेगा जल्दी
उपाय एक बस कर ले
बीती बातें, बीते किस्से
पीछे छोड़ता तू चल
विजयपथ है बहुत दुर्गम
शिलाएं तोड़ता तू चल