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रविवार, 9 जून 2013

बूँद

बादलों में था छुपकर बैठा

बारिश के संग आया हूँ
पेड़ों पर भी नृत्य किया है
पर्वत से टकराया हूँ।

पत्तों पर आराम किया है
लहरों पर लहराया हूँ
जब थका नदियों में बहकर
दूब पर बैठ इतराया हूँ।

तेरे नयनों की बूँद बना मैं
देख तेरा सरमाया हूँ ...

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