चल रहा हूँ सोचकर कि साथ कोई आयेगा
अनंत से कोई एक आवाज़ तो लगाएगारोक लेगा वो मुझे और प्यार से समझाएगा
कि ज़िन्दगी शुरू हुई है
तू खुद को न निराश कर
अब मैं भी तेरे साथ हूँ
तू मुझ पे विश्वास कर
कि चल जहाँ तक तू चलेगा
कौन सी तू रह लेगा
मैं खड़ा हु साथ तेरे
जो तेरी परवाह करेगा
कि दस कदम या दस जनम हो
साथ तेरे मैं चलूँगा
कोई ख़ुशी हो या के गम हो
साथ तेरे मैं रहूँगा
वो होगा मेरे जैसा कोई
एक दिन मिल जायेगा
चल रहा हूँ सोचकर कि साथ कोई आयेगा .......
wah..bahut badhiya likha hai apne, yah padh kar koi jald khud se nirash nahi hoga
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